20+ 🔥बेशर्म राजनीति शायरी 🔥| Political shayari in Hindi

बेशर्म राजनीति शायरी लेकर हम एक बार फिर हाज़िर हैं। हमारे देश में राजनीति का स्तर दिन प्रतिदिन गिरता जा रहा है। नेता भी बेशर्म हुए जा रहे हैं। नेता हर जगह राजनीतिक रोटियां सेंकने से बाज़ नहीं आते। इस पोस्ट में हम कुछ बेशर्म राजनीति पर शायरी करने का प्रयास कर रहे हैं उम्मीद है आप सबको पसंद आएगी तो आइए पढ़ते हैं बेशर्म राजनीति शायरी इन हिंदी।

बेशर्म राजनीति शायरी, स्टेटस, कोट्स हिंदी

बेशर्म नेताओं की बेशर्म राजनीति हो गई है
इनके हाथों से समाज की दुर्गति हो गई है
वक्त रहते जनता को जागना पड़ेगा
जनता को लूटना नेताओं की नीति हो गई है
बेशर्म राजनीति शायरी, स्टेटस, कोट्स हिंदी
बेशर्म राजनीति शायरी, स्टेटस, कोट्स हिंदी
ना कोई जाति, ना कोई मज़हब, ना कोई धर्म है
ना समाज, ना कोई इनका सामाजिक कर्म है
राष्ट्र धर्म था सर्वोपरि जिनके लिए वह कोई और थे
आज़ कल के नेताओं की राजनीति बहुत बेशर्म है

बेशर्म राजनीति पर हिंदी शायरी स्टेटस कोट्स

हर नेता बनता बड़ा होशियार है
राजनीति में हर तरफ भ्रष्टाचार है
ये बेशर्म नेता चूना लगाकर जनता को
घूमते हैं ऐसे जैसे न जाने कितने ईमानदार है
खोखले विकास के सवालों ने जब नेताओं को घेरा
तो जनता के सामने उजागर हो गया
राजनीति का बेशर्म चेहरा
बेशर्म राजनीति पर हिंदी शायरी स्टेटस कोट्स
बेशर्म राजनीति पर हिंदी शायरी स्टेटस कोट्स
जब जब देखो नेताओं ने देश को शर्मिंदा किया है
इस बेशर्म सियासत ने भ्रष्टाचार को जिंदा किया है

Political shayari in Hindi

इन नेताओं का कोई सगा नहीं है
ऐसा यहाँ कोई नहीं है जिसको
इन बेशर्म नेताओं ने ठगा नहीं है
बेशर्म राजनीति ने समाज को काट छांट दिया
हर वर्ग हर धर्म को जाति पतियों में बांट दिया

बेशर्म राजनीति हिंदी शायरी, स्टेटस, कोट्स

राजनीति का स्तर प्रतिदिन गिर रहा है
समाज को लूटने वाला नेता ही
समाज सेवक बनकर फिर रहा है
क्या भरोसा करें आजकल राजनीति और
आजकल की सरकारों का
ईमानदारों की आवाज दवाई जा रही है
और बोलबाला हो गया है भ्रष्टाचारों का
हर तरफ़ नफ़रत फैला दी है
हर तरफ़ जातिवाद की आग जला दी है
और क्या कहें इस बेशर्म राजनीति ने
देश की बुनियाद हिला दी है
बेशर्म राजनीति पर हिंदी शायरी
बेशर्म राजनीति पर हिंदी शायरी

बेशर्म राजनीति हिंदी शायरी, स्टेटस, कोट्स

बेशर्म राजनीति का पोल खुल गया है
हर तरफ़ नफ़रत का ज़हर घुल गया है
विकास का मुद्दा नजर नहीं आ रहा
मानों हर नेता अपना राष्ट्र धर्म भूल गया है
सियासतदारों का कोई सगा नहीं
शायद ही है जिसको सियासत ने ठगा नहीं

बेशर्म राजनीति पर कटाक्ष शायरी

सियासत चाहती है हम टूट कर खंड खंड हो जाएं
हम रहें शराफत में और वो उदंड हो जाएं
कान खोल कर सुन लें बेशर्म राजनीति करने वाले
बच के रहना उस दिन जिस दिन जनता प्रचंड हो जाएं
देश के जो हालात है अपने आप सुधर जाएंगे
बात सिर्फ़ बेशर्म राजनीति को सुधारने की है
नेताओं में से ईमानदार नेता सिर्फ़ चुनिंदा है
बेशर्म राजनीति से तो गिरगिट भी शर्मिंदा है
ख़ूब करी कोशिशें जनता को दबाने की
मुस्कुराते हुए चेहरों को रुलाने की
पोल खुल गई है बेशर्म राजनीति की
अब जितनी मर्ज़ी कोशिश कर लो चेहरा छुपाने की

बिलकुल! यहां दी जा रही है एक तीखी, व्यंग्यात्मक और प्रभावशाली **”बेशर्म राजनीति शायरी”** की पोस्ट — जो 1000 शब्दों तक विस्तार किया जा सकता है। इसमें नेताओं की बेशर्मी, वादाखिलाफी, भ्रष्टाचार और दोहरे चरित्र पर करारा तंज किया गया है।

# 🚩 बेशर्म राजनीति शायरी

🎭 झूठे वादों की दुकान

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वो कहता है सड़क बनेगी, स्कूल खुलेंगे गाँव में,
पांच साल बीते, अब खुद नहीं दिखता उस ठाँव में।
वादों की तिजोरी में सच का सिक्का नहीं,
इनकी बेशर्मी पर अब हंसी भी रोती है कहीं।
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💼 नेता और कुर्सी का इश्क

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कुर्सी से ऐसा इश्क़ निभाया गया,
जनता को हर पांच साल में ठगाया गया।
भाषणों में गांधी, कामों में लुटेरा निकला,
जन सेवा के नाम पर ख़ज़ाना डकार गया।
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🤥 वादा करके मुकर जाना

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वादा किया था बेरोज़गारी हटाएंगे,
अब फॉर्म भरने का टैक्स बढ़ाएंगे।
नेता बोले – “हर हाथ को काम देंगे”,
मगर अपनों को ठेका और जनता को जाम देंगे।
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🔥 शर्म को शर्मिंदा करने वाले

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इनके मुंह से ‘ईमानदारी’ सुनकर
आईना भी हँस पड़ा,
बेशर्मी इतनी कि
झूठ भी थक कर सच बन पड़ा।
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🧠 जनता की याददाश्त पर भरोसा

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इनका भरोसा जनता की भूलने की आदत पर है,
पिछले जख्मों की पपड़ी पर नया मरहम चिपकाते हैं।
हर बार नई टोपी पहनाकर वही धोखा,
हर बार नया नारा, मगर इरादा पुराना ही होता है।
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🏛️ चुनावी मौसम की राजनीति

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मत पूछो कैसे चेहरे बदलते हैं चुनाव से पहले,
कल जो दुश्मन थे, आज भाई बन गए झट से।
हर बार नया रंग, हर बार नया स्वांग,
बेशर्म राजनीति का अब यही है अंदाज़।
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💣 बिकता है लोकतंत्र

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जनता के वोट बिकते हैं शराब और साड़ी में,
विकास की बातें मरती हैं हर रैली की माड़ी में।
नेता चिल्लाते हैं – ‘लोकतंत्र ज़िंदा है’,
पर सच तो ये है कि ये रोज़ बोली में बिकता है।
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🤡 दोहरे चेहरे, दोहरी बातें

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दिन में गांधी, रात में गोडसे,
चुनाव के वक्त सब कुछ है माफ़ से।
मंदिर-मस्जिद से वोट बटोरो,
और फिर पांच साल बस चैन से सो लो।
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📢 मीडिया और सत्ता की सांठगांठ

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जो सच बोले, वो ‘एंटी नेशनल’ ठहराया जाता है,
जो झूठ बोले, उसे चैनलों में बिठाया जाता है।
बेशर्म राजनीति अब TRP की सौदागर है,
जहां सवाल मरते हैं और प्रोपेगंडा उभार लेता है।
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👥 जनता की चुप्पी – सबसे बड़ी साज़िश

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हम भी दोषी हैं, ये बात मानो,
हर बार धोखा खाकर फिर इन्हें जानो।
जब तक वोट की ताकत नहीं समझोगे,
बेशर्मों का राज यूं ही चलता जाएगा।
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✍️ निष्कर्ष – सवाल उठाओ, चुप न रहो

बेशर्म राजनीति को रोकने का एक ही तरीका है – सवाल उठाना। जब तक जनता चुप है, ये झूठ और बेशर्मी बेखौफ चलती रहेगी।

👉 अंतिम शायरी:

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अब चुप रहना बंद करो, सवाल करो ज़ोर से,
वरना फिर बिकेगा वोट, और तुम्हारा हक़ भी चोरी से।
बेशर्मों की ये सियासत अब और न चलेगी,
अब जनता भी जवाब मांगेगी, और खुलकर बोलेगी।
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📢 यह शायरी आपको कैसी लगी?

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धन्यवाद!
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