[TOP] 21+ तानाशाही के खिलाफ शायरी | अन्याय के खिलाफ शायरी
जुल्म और तानाशाही कितनी भी कोशिश कर ले एक ना एक दिन जुल्म और तानाशाही के खिलाफ छोटी सी चिंगारी विकराल रूप धारण कर लेती है। सहने की भी एक सीमा होती है जब किसी रबड़ के दो सिरों को पकड़कर खींचते हैं तो जब ज्यादा जोर पड़ता है तो रबर टूट कर खींचने वाले