पीरियड्स (मासिक धर्म) को लेकर समाज की जो संकुचित सोच थी वह धीरे-धीरे बदलने लगी है। वहीं महिलाएं भी अब सेनेटरी पैड्स इत्यादि खरीदने में झिझक नहीं करती। मासिक धर्म आने पर महिला को जो समाज अपवित्र समझता था वह समाज अब धीरे-धीरे ही सही लेकिन बदल रहा है। इसी समाज को जागरूक करने के