जुल्म के खिलाफ आवाज समय-समय पर उड़ती रही है कभी इस आवाज ने सियासत को पलटा और कभी अत्याचार के खिलाफ उठती यह आवाज सियासत के द्वारा दफना दी गई। कहते हैं जुल्म करना तो गुनाह है ही मगर जुल्म को सहना भी गुनाह है। इसलिए जुल्म के खिलाफ आवाज हमेशा बुलंद करनी चाहिए। इस पोस्ट में हमने कुछ शायरी लिखी है जो जुल्म के खिलाफ उठती हर आवाज को जोश से भर देगी। अगर आपको हमारी लिखी जुल्म के खिलाफ और अत्याचार के खिलाफ शायरी पसंद आए तो हमारा होंसला जरूर बढ़ाएं।
जुल्म के खिलाफ शायरी | अत्याचार के खिलाफ शायरी | Julm ke khilaf shayari
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